कारगिल दिवस ( देश प्रेम का दिखावा)

 " दर्द हो रहा होगा शीर्षक देखकर"    होना भी चाहिए , हम सबको होना चाहिए क्यों न हो ???

पहले आज आप सबको , उनको भी जिन्होंने आज के दिन अपने कितने अरमानों , सपनों , हकीकत की कुर्बानी देके आज के दिन पर हमें फेसबुक , व्हाट्सएप , इंस्टाग्राम पर प्रोफाइल फोटो बदलने का मौका दिया था विजय दिवस पर विशेष शुभकामनाएं।

आप के मन में आयेगा लेखक कुंठित है मगर क्यों न हो आप सबके तरह लेखक भी उनका अपराधी है जिनके शहीद परिवारजनों को हमसबके द्वारा सिर्फ आज के दिन ही श्रद्धांजलि दी जाती हो।

दोष क्या था उनका ?

  क्यों उनके बच्चे अपने पिता , पत्नी अपने पति , मां बाप अपने बेटे , बहन अपने भाई , भाई अपने भाई के नाम के आगे स्वर्गीय लगाते है । क्या 120 करोड़ जनसंख्या वाला देश के ठेकेदार वहीं है । कितनी सुविधा देते है हम सब उनको । एक चोर उचक्का आपके यहां का विधायक , सांसद बन जाता है उनका बंगला जाके देखिए उनकी सुविधा जाके देखिए और उनकी सुरक्षा देखिए जबकि ऐसे लोगों को सुरक्षा की नही उनसे लोगों को सुरक्षा की जरूरत होती है।

    सरकार किसी की भी हो ऐसे लोग सब जगह मिलेंगे क्योंकि हम अपने पड़ोस में इनके विरुद्ध आवाज उठाने वाला चाहते है अपने घर का बच्चा तो आईआईटी में जाएं ये सपना देखेंगे ।

आज अगर अपने से कोई दुर्घटना हो जाए तो अपने को मलाल रहता है की कैसे हो गया उनके परिवार की हालत क्या होगी और जिनका परिवार अपने शहीद बच्चे के बिना कैसे होगा उसका सुध सिर्फ उनके शहीद होने के दिन या आज के दिन ही हम लेंगे। क्यों इस देश के किसी भी चौक चौराहे , रोड , पुल , म्यूजियम , सम्मान , स्टेडियम का नाम इन नेताओं के बदले इन शहीद जवान के नाम पर न रखें जाएं कोई एक कारण ? 

देश में हर आदमी योगदान दे रहा है मगर अपनी जान की कीमत पर , बिना अपने परिवार को सुरक्षित रखे , कम कम उम्र में सिर्फ और सिर्फ ये जवान ही दे रहे हैं। 

    कितनी बार कोई नेता , समाजसेवी , हम जैसे नागरिक उन शहीदों के घर पर जाके उनकी समस्या के बारे में पूछे है , कितनी बार उस बच्ची , बहन ,मां पिता , पत्नी को सांत्वना देने गए है ।

   उनका कर्ज तो हमें ही चुकाना था न या पाकिस्तान आके चुकाएगा।

आप नौकरी , पैसा देके पल्ला झाड़ लेंगे या खुद की वाहवाही करवा लेंगे तो क्यों नही उन नेताओं के परिवारजनों को भी अनुकंपा वाली नौकरी और पैसे देके पल्ला झाड़ लिए क्यों उनके नाम पर देश की हर चीज का नाम रखने में दौड़ गए।  आपसे किस स्तर पर कम कुर्बानी इन जवानों ने नहीं दिया था जो उनके नाम पर आपसे , हमसे एक चौक का नामकरण भी नही हो पा रहा है । आप तर्क देंगे की उन्हें नौकरी मिली हुई थी जिसकी वो सैलरी लेते थे तो साहब आपको भी सैलरी मिलती है।

आज आप नए नए नियम ला रहे है की उन्हें इतने साल नौकरी करनी है फिर रिटायरमेंट लेना होगा । रिटायरमेंट का असली अर्थ तो यही है की वो अब नौकरी के अहर्ता में फिट नही बैठते है तो साहब अपने संसद भवन में जाके देख लीजिए अधिकतर सरकार चलाने के लिए फिट नही है । जाइए सन्यास लीजिए ।

बिना पेंशन का जीके देखिए । 

मगर साहब इस देश में बड़े लोगों के बच्चे , मंत्री , मुख्यमंत्री , नेता के बच्चे बिजनेसमैन बनेंगे , विदेश से ऊंची डिग्री लेंगे और अपनी सुरक्षा में देश के जवान को रखेंगे । कभी किसी बड़े बिजनेसमैन का बच्चा, नेता का बच्चे का लिस्ट देखिए और शहीद होने वाली लिस्ट देखिए आपको फर्क पता चल जायेगा ।

सभी किसान , गांव के बच्चे इस लिस्ट में मिल जायेंगे और फूल माला खुद पहन कर , नेता जी जिंदाबाद का नारा सुनते हुए कार्यक्रम में नेता जी दिख जायेंगे और कहीं भाषण सुन लिया आपने तो आपके कानों से खून न निकल जाएं तो देखना । भाषण में इतनी गहराई रहेगी की ये खुद को शहीद न घोषित कर दे आपको हर समय ये डर लगा रहेगा। 

और इनसे एक सवाल कर लीजिए की शहीद के बच्चे का एडमिशन करवाना है फीस भरना है फिर देखिए आपको अपने फ्री वाले बंगले पर बुलवा कर इतना इंतजार करवाएंगे जितना वो चुनावी साल में जनता को मूर्ख बनाने में नही करते है।

इसीलिए छोड़िए ये छद्म दिवस मनाने का ढोंग । असली दिवस उन शहीदों के घर पर जाके , उनकी समस्या दूर कर , उनका बच्चा बन कर मनाइए।

               ऐ मेरे वतन के लोगों वाला सॉन्ग आज डाउनलोड हो गया होगा डिलीट मत कीजिएगा 15 अगस्त नजदीक आ रहा है।


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