पतंजलि ( आयुर्वेद का रक्षक )

कोरोनिल ( देशी दवाई से नफरत क्यों )


इस महामारी से बचने के लिए लोगों ने क्या उपाय नहीं किए ।लोगो ने अपने शरीर को गीजर की तरह बना लिया , दिन रात गर्म पानी पीते रहे । दवाई दुकान ने प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के नाम पर खूब सारी दवाई बेची और लोगों ने जान के डर से खाना भी शुरू किया । अब किस दवा ने कितने को बचाया इस चर्चा पर जाके कोई फायदा नहीं है क्यों की जब तक आप वायरस के संपर्क में आए नहीं आपकी दवा की परीक्षा हुई नहीं है । मगर जाने दीजिए आज हमलोग शीर्षक पर रहते है ।


  जैसे ही पहली दवा जिसका नाम फैबीफ्लू के नाम से आई लोगो ने दवा की दुकान से लेके ऑनलाइन सब जगह इसकी उपलब्धता जांच ली चाहे एक टैबलेट 105 रूपए की क्यों ना हो मगर जान से बढ़कर थोड़े ही कुछ है । दवा कितनी मंहगी हो लेनी तो पड़ती ही है मगर समस्या इस से नहीं है समस्या है दवा माफिया से । दवा और अस्पताल के इस महामारी में भी पैसा बनाने कि रणनीति से । आप अपने घर में ये सुनते होंगे की आयुर्वेद से किसी भी बीमारी को जड़ से हटाया जा सकता है साथ में ये महंगा भी नहीं होता , दूसरी बात आपने कुछ सालों से जेनेरिक दवा का नाम सुना होगा सरकारी स्कीम सुनी होगी साथ ने इनके बहुत ही सस्ते होने कि बात भी सुनी होगी मगर आपने कभी ली है दवा , शायद बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने इसकी दवा के दुकान से दवा ली होगी ?

अपने बहुत सारी दवा माफिया पर आधारित साउथ फिल्म देखी होगी इस से आपको इनके माफिया गिरी का पता चलेगा । 

आज उन पर भी बात नहीं करते आज हम सब भारत में हुई दवा के लॉन्च की बात करते है । 

बाबा रामदेव का नाम और योग का नाम आप सबने एक साथ ही सुना होगा । 

आप सबको बाबा रामदेव और उनके योग पर टिप्पणी करने में मज़ा आता होगा कभी आप उनको कारोबारी बाबा तो कभी कुछ कहते है ।

अब आपसे सवाल है बाबा रामदेव ने आपसे योग के नाम पर कितना पैसा मांगा या आपने कितना दिया है । अपने तो टीवी या इंटरनेट से ही योग सीखा है फिर भी आप उन्हें ही गाली दे रहे ।

चलिए दूसरी बात आपने उनके कारोबार पर उंगली उठाई की आपके हिसाब से बहुत अच्छा प्रोडक्ट नहीं है ये वो फलाना ढिकाना । मगर मुझे अचरज इस बात से है कि भारत के लोग प्रोडक्ट देख कर खरीदते है या हीरो , हीरोइन ,क्रिकेटर को प्रचार करते देख टीवी पर खरीदते है । कितने लोग है जो इस प्रोडक्ट में यूज किए गए सभी चीज को पहले पढ़ते है फिर खरीदते है । आपका मुझे जवाब मत दीजिए नहीं तो आप बोलोगे की नहीं हम ऐसा करते है ये वो फिर से शुरू मगर साहब हमारे भारत में लोगो को थेथरई ही तो आता है । 

   अच्छा एक और बात आज बाबा रामदेव ने जो दवा लाया है मार्केट में उसका पूरा किट 500 का है मगर आपको आयुर्वेद वाली दवा नहीं खानी क्युकी आपके पास बहुत पैसे है आप अंग्रेजी दवा खाएंगे मगर बाबा रामदेव वाली दवा नहीं खाएंगे क्युकी आपको बाबा पर विश्वाश नहीं है आपको अंग्रेजी दवा पर विश्वाश है और उनके अस्पताल पर । ये अलग बात है कि बाद ने उन अस्पताल द्वारा आपको लूटने पर आप फिर रोते बिलखते रहते है मगर आप बाबा से नफरत जो करते है । 

   और जो ये बात का दंभ भरते होंगे की उनके पास पैसे है अंग्रेजी दवा खाने का मगर बाबा को कारोबारी बोलेंगे उनके बारे में पता लगाएं तो पता चलेगा कि आधा जिंदगी सरकार के सब्सिडी और फ़्री पर जिंदगी जी रहे है मगर बाबा रामदेव का विरोध करेंगे ।

इसी पर एक कहावत है " बाप के घर में बिजली नहीं मगर बेटा का नाम पॉवर हाउस "। अब मोदी जी गुस्सा ना हो जाए कि मैंने तो मित्रो सभी जगह बिजली पहुंचा दी फिर ये ऐसे कैसे बात कर रहा है ।

ये सब विरोधी आज ये बोल रहे है कि बाबा झूठ बोल रहे है उनके पास लाइसेंस नहीं है , प्रूफ नहीं है ऐसा वैसा तो मैं एक बात पूछता हूं कि ये फेयर एंड लवली आप लगाते रहे जिंदगी भर ये आपने किसको गोरा होते हुए देख कर या उनका लाइसेंस चेक कर या प्रूफ मांग कर खरीदा है । 


   आधे जिंदगी तो डॉक्टर के बदले दवा दुकानदार से दवा पूछ कर खाने वाले आज लाइसेंस चेक कर रहे । डॉलर का दाम बढ़ने पर सरकार को गाली देने वाले लोगों को ये नहीं पता रहता की उनका खरीदा हुए सभी सामान से प्रॉफिट और पैसा किस देश को जाता है , उन्हें पेप्सी जिसमें सोड़ा और चीनी मिला कर उनके हीरो से एड करवाने पर पीने से कोई नुक्सान नहीं दिखता मगर बाबा के सामान खरीदने से बाबा अमीर हो जाएंगे तो इनकी छाती फटने लगेगी ।कभी बाबा द्वारा खोला गया संस्थान की लिस्ट देख लेना दोस्तों।

समस्या पतंजलि नहीं है समस्या है बाबा द्वारा देश हित को ध्यान में रखना।

आप बाबा का विरोध करने वालों की पड़ताल कीजिए आपको उनका दुख तुरन्त दिख जाएगा ,किन्हीं को बाबा का गाय प्रेम से नफरत है ,किन्हीं को बाबा के देश प्रेम से नफरत है तो किन्हीं की बाबा द्वारा उनकी सरकार को हटाने के लिए किए हुए आंदोलन से गुस्सा है तो किसी को सनातन धर्म से गुस्सा है ।

लोग बाबा का मज़ाक उड़ाएंगे की बाबा तो पुलिस के डर से आंदोलन से भाग गए थे तो भाई साहब डरने कि तो बात थी है कभी आप लोगो का नसबंदी भी जबरदस्ती करवाई थी तो कितना दर्द था ,ये लोग तो स्वर्ण मंदिर से लेके दिल्ली दंगा में टायर गले में फसा कर जला कर मारने म महारथ हासिल किए हुए है ।

  दर्द सिर्फ इतना ही है कि बाबा ने कैसे पहले दवा लाके आयुर्वेद और सनातन धर्म का नाम ऊंचा कर दिया ।

दवा माफिया का तो धंधा बंद करवा देंगे ये बाबा और जैसे योग का पूरे विश्व में प्रचार हुए वैसे ही आयुर्वेद का हो जाएगा तो बाबा का नाम होगा ।

भाइयों बाबा आयेंगे और जाएंगे मगर देश रहेगा और आयुर्वेद भी रहेगा । 

दवा पर उंगली उठाने वाले को सिर्फ एक बात आप आज तक कितने चीजों पर लाइसेंस और प्रूफ चेक करके उपभोग किए हो उसका लिस्ट बना लो फिर बोलने आना ।

  


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