बंगाल चुनाव ( ममता या मोदी या बंगाली अस्मिता )

 जीत या हार : बंगाल चुनाव दोनों मुख्य पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है मगर वहां जीत कौन रहा है और हार किसे मिल रही है । 

           जीत भी बंगाल रहा है और हार भी बंगाल को ही मिलेगी । मगर इज्जत भी बंगाल की लूटी जा रही है । कभी बंगाली को नक्सल बताया जाता है कभी बांग्लादेशी , कभी बूथ लुटेरा तो कभी गुंडा । आजकल के बच्चे से भी पूछ लोगे की आप बंगाल के बारे में क्या जानते हो तो वो बंगाल की खूबियां नही सिर्फ बुराई ही बता पाएगा । अपने आप को राजनीति का स्तर ऊंचा करने वाली बताने वाली पार्टी ने इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया है । चुनाव को नकारात्मक बना दिया गया है । कभी गोत्र , कभी धर्म इसी पर चुनाव टिक गया है । मै हालांकि किसी भी पार्टी का समर्थक नही हूं इस चुनाव में । मगर आपने देखा होगा की अपने आप को बेटी बचाओ का नारा बुलंद करने वाली पार्टी आज एक औरत का सबसे ज्यादा इज्जत उछाल रही है ।
 हालंकि ममता बनर्जी के शासनकाल में बीजेपी समर्थित कार्यकर्ताओं की बहुत सारी हत्या हुई है और उसकी जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री को भी लेनी होगी , उनके इतने दिनों के शासनकाल में कितने उद्योग लगे ,किसानों का जीवन स्तर में क्या सुधार हुआ , सफाई ,स्वास्थ में क्या विकास हुआ इस पर जितने सवाल नही पूछे जा रहे उस से ज्यादा धर्म , गोत्र , बाहरी , गुंडा इस सब पे राजनीति हो रही है । बंगाल की राजनीति का अभी का माहौल बिहार के पुराने माहौल की याद दिलाता है मगर उसका यश किसी पार्टी को नही दे सकते आप बिहार में क्योंकि गुंडे , बलात्कारी बिहार में सभी पार्टी में भरपूर मात्रा में है वहा चुनाव में सुधार चुनाव आयोग ने किया था अभी के चुनाव आयोग में वो खुद के हिसाब से चलने की आजादी नहीं है । 
मैंने बिहार चुनाव बहुत ही अच्छे और बारीकी से अनुभव किया है तब मुझे पता चला की चुनाव आयोग कैसे पक्षपात करता है हालांकि ये काम कर रहे अधिकारियों पर निर्भर करता है मगर बिहार चुनाव में जिस तरह मतगणना में पोस्टल बैलेट की धांधली हुई आज केंद्र में सत्ता वाली पार्टी इसका फायदा जरूर उठा रही है । बंगाल की राजनीति बीजेपी के जीतने के बाद भी वैसे ही चलने वाली है ये आप लिख के रख लीजिए । जब कम्युनिस्ट की सरकार थी तब भी लोगों ने ममता से अच्छे दिन की उम्मीद की थी मगर ममता की पार्टी में सभी वही लोग जुड़ गए जो मुख्य रूप से पहले की सरकार के गड़बड़ियों में शामिल थे । आज बीजेपी में भी आप देख सकते है अधिकतर उम्मीदवार , नेता ममता की पार्टी के है और इनपर पहले बीजेपी भ्रष्ट्राचार के आरोप लगाती थी मगर बीजेपी अब वाशिंग मशीन की तरह है इनके पार्टी में शामिल होते ही सभी तरह के दाग से मुक्ति मिल जाती है । 
         सिर्फ रविन्दनाथ टैगोर जी , सुभाष चंद्र बोस जी का नाम चुनाव तक ही सीमित नहीं होना चाहिए । आज तक सुभाष चंद्र बोस के मृत्यु पर जो गोपनीय कागज थी उसे माहौल खराब हो जाएगा कह के समाज में नही रखा जाएगा क्या ये सिर्फ चुनावी स्टंट था । 
           सिर्फ चुनाव जीतने के लिए बंगाल को बदनाम नही करना चाहिए , वो ममता दीदी हो या बीजेपी । बंगाल को इन राजनेताओं से मुक्ति मिलनी चाहिए और जो भी अच्छे लोग है उन्हें बंगाल का प्रतिनिधित्व करने को देना चाहिए ।     
     आज ममता दीदी की जो हालत है वो उनका खुद का बोया हुआ बीज है जो आज उनका कर्म बता रहा है । 
      इसीलिए किसी भी पार्टी को इस बात पर इतराना नही चाहिए की सब दिन उनकी हुकूमत चलती रहेगी और वो हर संस्था को अपने हिसाब से चलाते रहेंगे । ये घमंड आज के हर सत्ता धारी राजनीति पार्टी को हो रही है और टूट भी रहा है उनका घमंड ।
         बाकी चुनाव बंगाल में है ये जरूर जानिए मगर बंगाल की कहानी सिर्फ यही है ये मत जानिए । बंगाल बहुत ही समृद्ध है संस्कृति से और विचार से । 

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