कोरोना की दूसरी लहर
लहर या लापरवाही : पूरे देश में फिर से कोरोना की दूसरी लहर आ गई है या हम सबने लापरवाही बरतना शुरू कर दिया है । पिछले बार भी इस महामारी ने देश के मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा झकझोरा था आप को लगा होगा की हमने गरीब लोगों की चर्चा नहीं की मगर आपने देखा होगा की उन्हें सरकार के द्वारा भी राशन , रसोई गैस की सुविधा प्रदान की गई थी । मगर मध्यम वर्ग को सरकार के द्वारा ना कोई राहत प्रदान की गई उल्टे उनकी नौकरी चली गई , छोटे छोटे उद्योग बंद हो गए । स्कूल , कोचिंग में कार्यरत लोगों को बेरोजगार होना पड़ गया । एक बार जब उनके उपर से लॉक डाउन का पहरा हटा सब अपने पेट भरने की और चल पड़े ।
लोगों की भीड़ बाजार से लेके धार्मिक स्थल सभी जगह होने लगी । लोगों को लगने लगा की अब इस महामारी में ही जीने की आदत बनानी होगी यहीं पर लोगों ने गलती करना शुरू कर दिया । मास्क , सफाई सब ताक पर रख दिए गए ।
सोचने की बात ये है की मास्क लगा के रहने पर भी इस बात की गारंटी नहीं है की आप इस बीमारी से बच जायेंगे क्योंकि सरकार और देश का स्वास्थ्य मंत्रालय खुद दुविधा में है की मास्क कौन सा सुरक्षित है और कौन सा सिर्फ सरकार द्वारा फाइन से बचाने का उपाय है । आज खुद को देश का सबसे ज्यादा मालामाल शहर बताने वाले जगहों की हालत देख लीजिए आप , मुंबई , दिल्ली , पुणे , नागपुर , भोपाल यहां के लोग खुद को ज्यादा बुद्धिजीवी बताते है मगर आज सबसे ज्यादा बीमारी यही पर फैल रही है ।
वैक्सीन : इसके उपर शक करना देश के महान सपूतों पर शक करना है । टीके की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने से पहले हमें ये जान लेना चाहिए की दुनिया में इतनी जल्दी किसी भयंकर बीमारी का टीका नही बना है । रही बात संकट और नीति खराब कहे या खुद पर विश्वास का संकट । सरकार जहां देश के सभी सरकारी संस्थान को निजी करने पर तुली है वही टीके को व्यापक रूप से दिलवाने के लिए सरकारी संस्थान पर विश्वास की हुई है ।
सरकार खुद निश्चय नही कर पा रही है की टीके की जरूरत घर बैठे लोगों को ज्यादा है या मजदूरी , नौकरी कर रहे युवा वर्ग को ज्यादा है जो अधिकतर समय भीड़ भाड़ में रोजी रोटी के लिए समय बिताते है ।
इस देश में आज भी किसी भी इमरजेंसी सर्विस के लिए देश के सरकारी हॉस्पिटल से ज्यादा लोग प्राइवेट का रुख करते है चाहे वो नेता हो या अधिकारी , उसी देश में प्राइवेट अस्पताल को टीके लगाने की पूरी तरह से छूट नहीं देना कही न कही विश्वाश की कमी दर्शाता है । लोगों को ये बात भी अच्छे से समझाया जाना चाहिए की टीका आपको इस बीमारी से सिर्फ प्रभाव कम होने तक बचा सकता है आपको बीमारी होने से नही रोक सकता है उसके लिए आपको खुद सावधानी बरतनी होगी ।
मुख्य उपाय : इस बीमारी का एक सबसे बड़ा उपाय जो दिख रहा है की सरकार लोगों को आवाजाही रोक दे । सरकार लॉक डाउन जैसी स्थिति ला दे । मगर जब सरकार ने पहली बार लॉक डाउन किया था तब उसका मुख्य उद्देश था की हॉस्पिटल , सेंटर , मेडिकल सर्विस ये सब जैसी संस्था को मजबूत करना महामारी से बचने के लिए । मगर अब हो रहे इस लॉक डाउन का उद्देश्य लोगों को आवाजाही रोकना हो गया है , बाजार बंद करना हो गया है , स्कूल कॉलेज पर ताला लगाना हो गया है ।
" एक आदमी ने कहा कि इस बीमारी से कब मरूंगा पता नही मगर इस लॉक डाउन के कारण उत्पन आर्थिक महामारी से जरूर मर जाऊंगा । "
सरकार के पास सबसे बड़ा उपाय है की पूरे देश में चुनाव करा दे । हम सब देख रहे है की जिस राज्य में चुनाव है वहा कोरोना भी डर के मारे जा नही रहा है। रैली हो रही है , रोड शो हो रहे है , मगर कोरोना की इतनी हिम्मत नही है की वहा झांक के भी देख पाए क्योंकि नेताओं की 5 साल के रोजगार का मेला जो चल रहा है उस राज्य में । चुनाव के बाद जब गरीब लोग , मध्यम वर्ग रोजी रोटी का खोज शुरू करेगा तो मार्केट , उद्योग बंद कर दिए जायेंगे लॉक डाउन के नाम पर ।
इसीलिए मैं देश के प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं की इस देश में सिर्फ चुनाव वाले राज्य में ही अपने भाषण रूपी टीका ना दे बाकी राज्य में भी रोड शो , रैली के रूप में टीका दे ।
और मैं एक आग्रह उस राज्य की जनता से भी करूंगा जहां पर लॉक डाउन लगा है आप सरकार से आग्रह करें की आपके राज्य में चुनाव करवा दिया जाए कोरोना के लिए फिर आप सिर्फ एक ही गाना गाओगे । " गो कोरोना गो "
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